
नैनीताल। हाईकोर्ट ने देहरादून नगर निगम द्वारा कूड़ा निस्तारण का कार्य कर रही कंपनी मैसर्स एकॉन वेस्ट मैनेजमेंट सॉल्यूशन प्रा. लि. का ठेका निरस्त करने की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने दिया। मामले की अगली सुनवाई 24 जून 2025 को निर्धारित की गई है।
खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि इससे पहले 29 अप्रैल 2025 को एकल पीठ ने इस आधार पर मामला समाप्त किया था कि नगर निगम पूर्व का निरस्तीकरण आदेश वापस लेकर पुनः प्रक्रिया शुरू करेगा। लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से निगम ने कुछ ही दिनों में पुनः वही निरस्तीकरण आदेश पारित कर दिया, जो कि न्यायिक आदेशों की सीधी अवहेलना प्रतीत होती है।
न्यायालय ने कहा कि नगर निगम के आदेश में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पूर्णतः उल्लंघन किया गया है। न तो कंपनी को कोई कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, और न ही कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत किया गया जिससे यह साबित हो कि याचिकाकर्ता द्वारा अनुबंध कार्यों में कोई लापरवाही बरती गई है।
कोर्ट ने निगम की कार्यशैली को ‘प्रशासनिक मनमानी’ करार देते हुए सवाल उठाया कि जब निगम के पास किसी वार्ड में मकानों या प्रतिष्ठानों की संख्या तक का सटीक आंकड़ा नहीं है, तो ठेके की रकम कैसे तय की गई? यह संदेह उत्पन्न करता है कि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी नहीं रही।
नगर निगम ने अपनी कार्रवाई को जिलाधिकारी देहरादून की एक गुप्त रिपोर्ट पर आधारित बताया, जिसे याचिकाकर्ता को भी उपलब्ध नहीं कराया गया। इस पर अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि किसी “गुप्त रिपोर्ट” के आधार पर न तो ठेका रद्द किया जा सकता है, और न ही कंपनी को काली सूची में डाला जा सकता है। यह न्याय की पारदर्शिता के खिलाफ है।
न्यायालय ने 2 मई 2025 के निगम के आदेश पर स्थगन प्रदान करते हुए स्पष्ट किया कि बिना उचित प्रक्रिया अपनाए ऐसे आदेश टिक नहीं सकते। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अगली सुनवाई 24 जून 2025 को होगी, जिसमें मामले की गहनता से समीक्षा की जाएगी।
