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उत्तराखंड में इस बार पंचायत चुनाव पर चारधाम यात्रा का सीधा असर पड़ सकता है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रस्तावित अध्यादेश पेश नहीं किया गया। वहीं, जिला पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल 1 जून को समाप्त हो रहा है, जिससे पहले चुनाव कराना मुश्किल नजर आ रहा है। ऐसे में संभावना है कि शासन प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा सकता है।

प्रदेश के 13 में से 12 जिलों (हरिद्वार को छोड़कर) में पंचायत चुनाव होने हैं। लेकिन इससे पहले ओबीसी आरक्षण को लेकर पंचायत एक्ट में संशोधन अनिवार्य है। इसके बाद शासनादेश जारी होगा, जिसमें आरक्षण का प्रतिशत तय किया जाएगा। इसके तहत अनंतिम आरक्षण सूची प्रकाशित की जाएगी और उस पर आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी।

आरक्षण संबंधी आपत्तियों—जैसे एससी, एसटी, ओबीसी और महिला वर्ग से जुड़ी—पर सुनवाई कर उनका निपटारा किया जाएगा। इसके बाद ही पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की जा सकेगी। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया में समय लगेगा, वहीं इसी दौरान राज्य में चारधाम यात्रा भी शुरू हो रही है, जिसमें प्रशासन की पूरी मशीनरी जुट जाएगी।

विभागीय सचिव चंद्रेश कुमार के अनुसार पंचायत चुनाव की तैयारियां जारी हैं और इसके लिए 28 दिन की आवश्यकता होगी। हालांकि, मौजूदा स्थिति को देखते हुए 1 जून से पहले चुनाव संपन्न करा पाना संभव नहीं लगता है।

राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि सरकार को अभी तक आरक्षण तय करना है। जैसे ही आरक्षण की सूची प्राप्त होती है, चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि समय पर चुनाव कराए जाएंगे।


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