देहरादून में UKSSSC स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक की घटना को लेकर आठ दिनों से आंदोलन कर रहे युवाओं को बड़ी राहत मिली है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद परेड ग्राउंड धरना स्थल पर पहुंचकर आंदोलनरत युवाओं से मुलाकात की और मामले की CBI जांच की सिफारिश करने का ऐलान किया।
मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि पेपर लीक प्रकरण में युवाओं को किसी तरह की शंका या अविश्वास न रहे, इसलिए सरकार ने अब सीबीआई जांच की सिफारिश की है। इसके साथ ही, पहले से चल रही एसआईटी जांच भी जारी रहेगी, जिसकी निगरानी हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश यूसी ध्यानी कर रहे हैं।
यह मामला 21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें परीक्षा शुरू होने के महज 35 मिनट बाद ही हरिद्वार के लक्सर स्थित बहादुरपुर जट गांव के एक केंद्र से प्रश्न पत्र के तीन पन्ने सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इस घटना ने आयोग और पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया।
जांच में इस पेपर लीक के पीछे खालिद मलिक का नाम सामने आया है, जिसने पेपर राजकीय महाविद्यालय अगरौड़ा टिहरी में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को भेजा था। खालिद की बहन साबिया की भी इसमें संलिप्तता पाई गई है। एसआईटी ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है।
इसके अलावा, परीक्षा से जुड़े लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई करते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को निलंबित किया गया है। परीक्षा केंद्र पर तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट केएन तिवारी को भी निलंबित किया गया है। हरिद्वार पुलिस के एसआई रोहित कुमार और कांस्टेबल ब्रह्मदत्त जोशी को भी ड्यूटी में लापरवाही के चलते सस्पेंड किया गया है।
युवाओं की मांग थी कि लीक हुई परीक्षा रद्द की जाए और निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सख्त सजा मिले। सरकार की ओर से CBI जांच की सिफारिश इस दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। अब उम्मीद की जा रही है कि मामले की तह तक जाकर दोषियों को सजा दिलाई जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकेगी।
