
मसूरी में तिब्बती समुदाय ने कैंडल मार्च निकाला. इस दौरान तिब्बती समुदाय ने पंचेन लामा की रिहाई की मांग की. साथ ही तिब्बती समुदाय ने चीन सरकार से 11वें पंचेन लामा के जीवित होने के प्रमाण के साथ उनकी वर्तमान की तस्वीर सार्वजनिक करने की मांग की। मसूरी में रीजनल तिब्बत वुमेन्स एसोसिएशन के द्वारा 11वें पंचेन लामा गेदुन चोयकी नीमा के गुम होने की 29वीं सालगिरह के मौके पर मसूरी में तिब्बत समुदाय के लोगों ने मसूरी तिब्बत होम्स हैप्पी वैली से मसूरी के गांधी चौक तक कैंडल लाइट मार्च निकाला. इस मौके पर तिब्बती समुदाय ने पंचेन लामा की रिहाई की मांग करते हुए उनके सकुशल होने के लिए प्रार्थना भी की. रीजनल तिब्बत वुमेन्स एसोसिएशन अध्यक्ष ताषी मिनकी ने कहा कि तिब्बतियों के धर्मगुरु पंचेन लामा को जब से अपने कब्जे में लिया है तब से उनके बारे में कोई भी जानकारी सामने नहीं आ पाई है। ऐसे में पंचेन लामा को अब चीन सरकार को रिहा करना चाहिए। इसी मांग को तिब्बती महिलाओं के द्वारा कैंडल मार्च निकाला गया। उन्होने कहा कि 6 वर्षीय बालक गेधून ज्यूकि नीमा जिन्हें दलाईलामा की ओर से 11वें पंचेन लामा की उपाधि दी गई थी। इन्हें उपाधि मिलने के महज 3 दिन बाद ही चीन सरकार की ओर से कथित तौर पर परिवार सहित अगवा कर लिया गया था और तब से लेकर आज तक वह चीन सरकार के कब्जे में हैं। तिब्बतियों सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पंचेन लामा की रिहाई संबंधी कई मर्तबा चीन सरकार से आग्रह किया गया है लेकिन चीन सरकार इस बाबत कोई सकारात्मक रुख सामने नहीं ला रही है। कैंडल मार्च में शामिल महिलाओं का कहना है कि इस बारे चीन से कोई जानकारी नहीं मिल रही है। वहीं तिब्बती समुदाय के लोगों ने मांग उठाई कि 11वें पंचेन लामा के संबंध में चीन अपनी स्थिति स्पष्ट करे और उन्हें रिहा किया जाए। तिब्बतन महिला कांग्रेस की सचिव तेनजीन ने बताया कि 11वें पंचेन लामा गेदुन चोयकी नीमा का चीन द्वारा 17 मई, 1995 को अपहरण कर लिया गया था. इसके बाद से उनकी कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी. 14 मई, 1995 को तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने गेधुन चोयकी नीमा को 11वें पंचेन लामा के रूप में मान्यता दी थी. इसके तीन दिन के बाद ही 17 मई, 1995 से छह वर्षीय गेदुन चोयकी नीमा व उनके परिजन रहस्यमयी परिस्थितियों में गायब हैं. 28 मई 1996 तक तो यह भी पता नहीं चल सका कि गेदुन व उसके परिजनों का किसने अपहरण किया, लेकिन जब इस मामले को संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के अधिकारों के लिए गठित कमेटी ने उठाया तो पता चला कि चीन ने उन्हें बंदी बनाया हुआ है। चीन का मानना है कि दलाई लामा द्वारा घोषित पंचेन लामा को लेकर बुद्ध संप्रदाय के लोगों में भारी रोष पनप रहा था. इसी के चलते उन्हें सेना को भेजना पड़ा. इसी बीच 29 नवंबर, 1995 को चीन ने उनके समानांतर ग्यालसन नोरबू को पंचेन लामा घोषित कर दिया. गेदुन चोयकी नीमा अब 35 वर्ष के हो चुके हैं, जबकि उन्हें तिब्बती समुदाय में धर्मगुरु दलाई लामा के बाद दूसरे नंबर पर सबसे बड़ा गुरु माना जाता है। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने करीब पांच वर्ष पूर्व कहा था 11वें पंचेन लामा जीवित हैं. उन्होंने कहा था विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक 11वें पंचेन लामा जीवित हैं. वे सामान्य शिक्षा ले रहे हैं. उससे ज्यादा उनके बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया. उन्होंने चीन सरकार से मांग की है कि 11वें पंचेन लामा के जीवित होने के प्रमाण के साथ उनकी वर्तमान की तस्वीर सार्वजनिक करे. उन्होंने कहा कि उनके पास 11वें पंचेन लामा की एक मात्र तस्वीर है, जब वे 6 साल के थे।
बाइट तिब्बती महिला कांग्रेस की सचिव तेनजिन
