
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश में हो रहे अवैध निर्माण पर सख्त रुख अपनाते हुए सचिव आवास को व्यक्तिगत रूप से 9 जुलाई को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि सचिव यह बताएं कि आखिर कैसे बिना स्वीकृत नक्शे (सैंक्शन प्लान) के निर्माण कार्य हो रहे हैं।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने गढ़वाल कमिश्नर, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के वाइस चेयरमैन और असिस्टेंट इंजीनियर की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने पूछा कि जब ये अधिकारी अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे हैं, तो इन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए।
ऋषिकेश निवासी पंकज अग्रवाल व अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर बताया कि देहरादून जिले के ऋषिकेश क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो रहे हैं। ये निर्माण स्वीकृत मानचित्र के विपरीत किए जा रहे हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि एमडीडीए द्वारा पहले इन निर्माणों को सील किया गया था, लेकिन बाद में असिस्टेंट इंजीनियर ने प्रतिबंध हटाते हुए अवैध निर्माण को कम्पाउंड कर वैध घोषित कर दिया।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इस प्रकार के अवैध निर्माण से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है और इन पर तत्काल रोक जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि ऋषिकेश के अलावा मसूरी और देहरादून में भी यही स्थिति बनी हुई है।
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को तय की है। साथ ही सचिव आवास से कहा गया है कि वे स्वयं कोर्ट में पेश होकर अवैध निर्माणों पर शासन की स्थिति और जवाबदेही स्पष्ट करें।
