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उत्तराखंड में हाल के दिनों में मौसम ने करवट ली है, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में बौछारों और ओलावृष्टि के कारण जनजीवन प्रभावित हो रहा है। भूस्खलन के कारण कई स्थानों पर सड़कें अवरुद्ध हैं, जिससे आवागमन में कठिनाई हो रही है। हालांकि, मैदानी क्षेत्रों में धूप और बादलों की आंख-मिचौनी के बीच हल्की बूंदाबांदी से तापमान में गिरावट आई है, जिससे कुछ राहत मिली है।

मौसम विभाग ने शुक्रवार को प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में तेज बौछार, गर्जन के साथ ओलावृष्टि और आंधी की चेतावनी जारी की है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, बागेश्वर, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जिलों में ओलावृष्टि और लगभग 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से झक्कड़ चलने की संभावना है।

देहरादून, पौड़ी, नैनीताल और चंपावत में आकाशीय बिजली चमकने के साथ ओलावृष्टि और कहीं-कहीं अधिकतम 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आंधी चलने की संभावना जताई गई है, जिसके मद्देनजर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से उत्तराखंड में वर्षा की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ रही है, जिससे भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। इसलिए, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को आपदा प्रबंधन के उपायों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, ताकि जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके।


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