रामनगर के उमेदपुर गांव में हर साल की तरह इस साल भी हुड़के की थाप पर धान रोपाई का आयोजन किया गया। इस आयोजन को “दा पहाड़ी ऑर्गेनिक फार्म” में कुमाउंनी संस्कृति के अनुसार किया गया, जिसमें आसपास के ग्रामीणों ने भी उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। पूर्व विधायक रंजीत सिंह रावत ने कहा कि यह आयोजन हमारी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को हमारी संस्कृति के बारे में पता चले और वे इसको अपनाएं।
इस आयोजन में पर्वतीय वाद्य यंत्रों के साथ धान की रोपाई की गई, जो कुमाउंनी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ग्रामीणों ने हुड़के की थाप पर नाचते हुए धान रोपाई की, जो एक अद्भुत दृश्य था। रावत ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए ऐसे आयोजनों को करना चाहिए, ताकि हमारी संस्कृति जीवित रहे और हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिले।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य कुमाउंनी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए था, जिसमें ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। रावत ने कहा कि हमारी संस्कृति हमारी धरोहर है और इसको आगे ले जाना हमारा कर्तव्य है। इस आयोजन के माध्यम से हमारी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए एक कदम उठाया गया है, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिलेगा।
इस आयोजन में पर्वतीय वाद्य यंत्रों के साथ धान की रोपाई की गई, जो कुमाउंनी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ग्रामीणों ने हुड़के की थाप पर नाचते हुए धान रोपाई की, जो एक अद्भुत दृश्य था। इस आयोजन के माध्यम से हमारी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए एक कदम उठाया गया है, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिलेगा।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य कुमाउंनी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए था, जिसमें ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। रावत ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए ऐसे आयोजनों को करना चाहिए, ताकि हमारी संस्कृति जीवित रहे और हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिले।
रामनगर के उमेदपुर गांव में हर साल की तरह इस साल भी हुड़के की थाप पर धान रोपाई का आयोजन किया गया। इस आयोजन को “दा पहाड़ी ऑर्गेनिक फार्म” में कुमाउंनी संस्कृति के अनुसार किया गया, जिसमें आसपास के ग्रामीणों ने भी उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। पूर्व विधायक रंजीत सिंह रावत ने कहा कि यह आयोजन हमारी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को हमारी संस्कृति के बारे में पता चले और वे इसको अपनाएं।
इस आयोजन में पर्वतीय वाद्य यंत्रों के साथ धान की रोपाई की गई, जो कुमाउंनी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ग्रामीणों ने हुड़के की थाप पर नाचते हुए धान रोपाई की, जो एक अद्भुत दृश्य था। रावत ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए ऐसे आयोजनों को करना चाहिए, ताकि हमारी संस्कृति जीवित रहे और हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिले।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य कुमाउंनी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए था, जिसमें ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। रावत ने कहा कि हमारी संस्कृति हमारी धरोहर है और इसको आगे ले जाना हमारा कर्तव्य है। इस आयोजन के माध्यम से हमारी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए एक कदम उठाया गया है, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिलेगा।
इस आयोजन में पर्वतीय वाद्य यंत्रों के साथ धान की रोपाई की गई, जो कुमाउंनी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ग्रामीणों ने हुड़के की थाप पर नाचते हुए धान रोपाई की, जो एक अद्भुत दृश्य था। इस आयोजन के माध्यम से हमारी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए एक कदम उठाया गया है, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिलेगा।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य कुमाउंनी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए था, जिसमें ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। रावत ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए ऐसे आयोजनों को करना चाहिए, ताकि हमारी संस्कृति जीवित रहे और हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिले।
