नैनीताल। देवभूमि उत्तराखंड में कई ऐसे पौराणिक मन्दिर स्थापित है, जिनकी अपनी एक खास विशेषता है, ऐसा ही एक खास भगवती का मन्दिर नैनीताल की ठंडी सड़क में भी स्थित है। जिसे पाषाण देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में माता भगवती की 9 पिंडियां अपने आप अवतरित होकर आई हैं, पहाड़ी में देवी मां के नौ रूप दिखाई देते हैं, इन्हीं 9 रूपों की वजह से पूरे नैनीताल में सिर्फ पाषाण देवी ही है जिन्हें नव दुर्गा के रूप में भी पूजा जाता है और इन दिनों चल रही शारदीय नवरात्रि में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
मंदिर में मौजूद मां पाषाण देवी को नव दुर्गा के नौ रूप मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी, मां सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता हैं।
मंदिर में मौजूद देवी मां के गर्दन से ऊपरी शरीर का हिस्सा, आंखें, कान, नाक प्रत्यक्ष रूप से दिखते हैं और गर्दन से नीचे का शरीर जैसे उनकी भुजाएं और पादुकाएं ताल के अंदर विराजमान हैं। देवी का यह रूप ताल के अंदर से अपने आप प्रकट हुआ था. पत्थर पर 8 रूप पिंडियों के हैं और एक रूप मुख के रूप में प्रकट हुआ था।
मंदिर के पुजारी जगदीश भट्ट ने बताया कि देवी मां की यह एक प्राकृतिक मूर्ति है और इसमें किसी भी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया है। बताया की स्थानीय ही नहीं बल्कि दूर दराज से भी लोग यहां मां की पूजा अर्चना करने आते हैं, मां यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
