
चारधाम यात्रा की शुरुआत से पहले उत्तराखंड में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) ने सुरक्षा और आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए एक मॉक ड्रिल आयोजित किया। यह ड्रिल गढ़वाल क्षेत्र के चार जिलों में आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न प्रकार की आपदाओं और दुर्घटनाओं का रिहर्सल किया गया।
चमोली जिले के पागल नाल क्षेत्र में भूस्खलन की स्थिति का मॉक ड्रिल किया गया, जिसमें हाईवे बंद होने और तीर्थयात्रियों के फंसने का दृश्य दिखाया गया। फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकालने और उनकी भोजन-जल की व्यवस्था करने का अभ्यास किया गया।
चमोली जिले में बदरीनाथ में 6.4 मैग्नीट्यूड का भूकंप आने पर श्रद्धालुओं के बीच दहशत फैलने, लैंडस्लाइड और भगदड़ जैसी परिस्थितियों से निपटने की तैयारियों का परीक्षण किया गया।
कमेड़ा गौचर में बदरीनाथ जा रही तीर्थयात्रियों की बस 400 फीट गहरी खाई में गिर गई और आंशिक रूप से अलकनंदा नदी में डूब गई। मॉक ड्रिल के तहत इस दुर्घटना में फंसे यात्रियों को निकालने की प्रक्रिया का अभ्यास किया गया।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाली गार्डन में बादल फटने से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई, जिससे 800 यात्री फंसे गए। इस मॉक ड्रिल में बाढ़ से निपटने और यात्रियों को सुरक्षित निकालने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया गया।
रुद्रप्रयाग जिले में फाटा से केदारनाथ जा रहे हेलीकॉप्टर के क्रैश होने की स्थिति का मॉक ड्रिल किया गया। इस दौरान हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बाद बचाव कार्य और घायल यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का अभ्यास किया गया।
देहरादून जिले के ऋषिकेश में स्थित ट्रांजिट कैंप में आग लगने का मॉक ड्रिल किया गया, जिसमें 600 तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों का परीक्षण किया गया।
हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होने के कारण भगदड़ मचने का मॉक ड्रिल किया गया। इस दौरान तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और भगदड़ को नियंत्रित करने के उपायों का अभ्यास किया गया।
इन सभी मॉक ड्रिल्स के दौरान, शासन और प्रशासन ने अपनी तैयारियों की समीक्षा की और यह सुनिश्चित किया कि भविष्य में ऐसी किसी भी आपातकालीन स्थिति में जान-माल का नुकसान कम से कम हो। अधिकारियों ने यह भी सुनिश्चित किया कि सभी जगहों पर सुरक्षा और आपातकालीन व्यवस्थाएं पूरी तरह से सुसज्जित हों, ताकि यात्रा के दौरान कोई अप्रत्याशित घटना घटने पर त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया दी जा सके।
