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नैनीताल नगर में हाल ही में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुई दुष्कर्म की घटना के मामले में दर्ज दूसरी एफआईआर में पीड़िता की पहचान उजागर करने का गंभीर मामला सामने आया है। इस संबंध में अधिवक्ता दीपक रूवाली ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नैनीताल को एक लिखित शिकायत सौंपते हुए कार्रवाई की मांग की है।

शिकायत के अनुसार, थाना मल्लीताल द्वारा दुष्कर्म प्रकरण में एफआईआर संख्या 21/2025 दर्ज की गई थी, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 65(1), 351(2) तथा पॉक्सो एक्ट की धाराओं के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया। इस मामले के विरोध में लोगों के प्रदर्शन के बाद पुलिस द्वारा एक और एफआईआर संख्या 22/2025 दर्ज की गई, जिसमें धारा 115(2), 324(2), 191(2), 126(2) के तहत कार्रवाई की गई।

एफआईआर संख्या 22/2025 में शिकायतकर्ता—कोतवाली मल्लीताल के प्रभारी निरीक्षक—पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने पीड़िता की माँ का नाम सार्वजनिक रूप से उजागर किया, जिससे पीड़िता की पहचान स्वतः स्पष्ट हो गई। अधिवक्ता दीपक रूवाली ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह पॉक्सो एक्ट की धारा 23(4) के तहत एक गंभीर अपराध है।

उन्होंने कहा कि कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि लैंगिक अपराधों से जुड़े मामलों में पीड़िता, वादिनी और उनके परिजनों की पहचान गुप्त रखी जानी चाहिए। ऐसे में एफआईआर में नाम उजागर करना न केवल विधिक प्रावधानों का उल्लंघन है, बल्कि यह पीड़िता और उसके परिवार की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसा कृत्य है।

दीपक रूवाली ने मांग की है कि इस मामले में दोषी व्यक्ति के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में किसी भी स्थिति में पीड़िता या उसके परिजनों की पहचान सार्वजनिक न की जाए।

इस प्रकरण ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और अब देखना यह है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए यह एक महत्वपूर्ण विधिक और नैतिक मुद्दा बन चुका है।


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