Spread the love

आज हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में जंगल की आग का मामला उठाया। राज्य का प्रतिनिधित्व भारत के सॉलिसिटर जनरल श्री तुषार मेहता और उत्तराखंड राज्य के डिप्टी एडवोकेट जनरल श्री जतिंदर कुमार सेठी ने किया। केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति का प्रतिनिधित्व श्री परमेश्वर एडवोकेट ने किया। भारत की एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सुश्री ऐश्वर्या भाटी ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व किया। न्यायालय के निर्देशानुसार, राज्य के मुख्य सचिव के साथ प्रधान मुख्य वन संरक्षक और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मौजूद थे।

शुरू में मुख्य सचिव के कार्यालय द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की गई जिसमें वित्त वर्ष 2023-24 के लिए CAMPA निधियों के उपयोग का विवरण दिया गया था, जिसमें यह दिखाया गया था कि संपूर्ण निधि का उपयोग विभिन्न अग्नि रोकथाम और अग्निशमन उपायों के लिए किया गया था। 4.75 करोड़ रुपये वन अग्नि रोकथाम और नियंत्रण कार्यों के लिए निर्धारित किए गए हैं, जिन्हें अगले अग्नि सीजन, 2025 से पहले सर्दियों के महीनों में लागू किया जाएगा।

राज्य ने अदालत को राज्य में वन अग्नि शमन के लिए एसडीएमएफ फंड जारी करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को भी दिखाया। आपदा प्रबंधन सचिव ने डीएम को अग्निशमन उपकरणों की आपातकालीन खरीद के लिए प्रति जिले 50 लाख रुपये आवंटित करने और आवश्यकता पड़ने पर एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की सहायता लेने के आदेश जारी किए थे। इसके अलावा अग्नि सीजन के दौरान वाहनों के साथ कर्मियों की प्रतिनियुक्ति के लिए अनटाइड फंड का उपयोग किया गया है।

यह भी कहा गया कि राज्य में नियमित बैठकें होती थीं और मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव, वन, सचिव, आपदा प्रबंधन और सरकार के सभी विंग जैसे अग्निशमन सेवाएं, पुलिस, एसडीआरएफ और आपदा क्यूआरटी आदि के निर्देश शामिल होते थे। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) ने वन अग्नि शमन के लिए लाइन विभागों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एसडीएम की अध्यक्षता में घटना प्रतिक्रिया दल (आईआरटी) का गठन किया। राज्य ने न्यायालय को यह भी बताया कि वन विभाग में क्षेत्रीय स्तर पर रिक्त पदों को भरने के लिए तत्काल कदम उठाए जा रहे हैं तथा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यूकेपीएससी) और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) इस पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

राज्य ने चीड़ की पत्तियों से लगने वाली आग को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी तथा बताया कि राज्य सरकार ने चीड़ की पत्तियों (पाइन नीडल) और अन्य बायोमास से बिजली उत्पादन के लिए नीति अधिसूचित की है। चीड़ की पत्तियों के संग्रह को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय संग्रहकर्ताओं को 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भुगतान किया जा रहा है तथा इसे पारगमन शुल्क से छूट दी गई है। इसके अलावा चीड़ की पत्तियों को एकत्र कर एनटीपीसी के साथ मिलकर ब्रिकेट/पेलेट बनाने तथा बिजली उत्पादन के लिए इकाइयों को आपूर्ति की जा रही है।

चुनाव ड्यूटी के लिए अधिकारियों की तैनाती के संबंध में यह दर्शाया गया कि वन्यजीव अभ्यारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों से कोई भी क्षेत्रीय अधिकारी तथा वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी चुनाव ड्यूटी में नहीं लगे थे तथा यहां तक ​​कि चुनाव ड्यूटी में लगे वन विभाग के कुछ क्षेत्रीय अधिकारियों ने भी वन अग्नि नियंत्रण गतिविधियों को फिर से शुरू कर दिया था।

न्यायालय को वनों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए अग्निशमन कर्मियों को उपलब्ध कराए गए अग्निशमन उपकरणों का विवरण भी दिखाया गया तथा राज्य में 1429 क्रू स्टेशनों की फील्ड क्रू टीमों को 40184 विभिन्न उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त उत्तराखंड आपदा तैयारी एवं तन्यकता परियोजना (यू-प्रीपेयर) के तहत 27151 अग्निशमन उपकरण (फायर प्रॉक्सिमिटी सूट, जूते, हेलमेट, अग्निरोधी दस्ताने, पानी की बोतलें, हेड लाइट, प्राथमिक चिकित्सा किट और जीपीएस) खरीदे जा रहे हैं।

राज्य के जवाब से संतुष्ट होकर और उसकी सराहना करते हुए न्यायालय ने सभी पक्षों से एक साथ बैठकर भविष्य के लिए रणनीति बनाने को कहा तथा मामले की सुनवाई सितंबर 2024 तक स्थगित कर दी।


Spread the love