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चमोली: सिख धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल हेमकुंड साहिब के कपाट शनिवार, 25 मई को श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु विधिवत रूप से खोल दिए गए। समुद्र तल से करीब 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस पवित्र स्थल के कपाट खुलने के साथ ही उच्च हिमालयी लोकपाल घाटी एक बार फिर श्रद्धा और आस्था के रंगों में रंग गई।

कपाट खुलने से पहले गुरुद्वारे को भव्य रूप से सजाया गया। करीब 7 क्विंटल फूलों, रंग-बिरंगे गुब्बारों, तोरण पताकाओं और पुष्पमालाओं से पूरे परिसर को अलंकृत किया गया। चारों ओर बर्फ से ढकी सप्तश्रृंगी चोटियों के बीच स्थित हिम सरोवर अब भी पूरी तरह से बर्फ से जमा हुआ है, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

हेमकुंड साहिब को दशम गुरु श्री गोविंद सिंह जी की तपस्थली माना जाता है। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को गोविंदघाट से शुरू होकर लगभग 15 किलोमीटर लंबे ‘गुरु आस्था पथ’ को पार करना होता है। इस मार्ग की सभी तैयारियां पूर्व में पूरी कर ली गई थीं। यात्रा मार्ग पर सुरक्षा, चिकित्सा और अन्य मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए अब तक लगभग 75,000 श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण करा चुके हैं, जबकि ऑफलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया भी जारी है। यात्रा मार्ग पर डंडी-कंडी, पालकी, घोड़ा-खच्चर आदि की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है, जिसे श्रद्धालु एडीसी भ्यूंडार के माध्यम से उचित दरों पर बुक कर सकते हैं।

गोविंदघाट गुरुद्वारे के समीप अलकनंदा नदी पर बना नया पुल श्रद्धालुओं की यात्रा को और सुगम बनाएगा। हालांकि श्रद्धालुओं को कुछ दूरी तक पैदल चलकर पुलना गांव तक पहुंचना होगा, जहां से छोटे वाहनों की सहायता से आगे की यात्रा की जा सकती है।

हेमकुंड साहिब की यात्रा हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक बनती है, और इस वर्ष भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। स्थानीय प्रशासन और गुरुद्वारा प्रबंधन समिति द्वारा यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए तमाम व्यवस्थाएं की गई हैं।

 


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