
नई दिल्ली। भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देते हुए स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में की गई है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी और सेना की दो महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी व विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस वार्ता में इस ऑपरेशन की पूरी जानकारी साझा की।
विक्रम मिसरी ने बताया कि पहलगाम हमला 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला था, जिसमें बड़ी संख्या में आम नागरिकों की जान गई। उन्होंने बताया कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैय्यबा ने रची थी, जबकि जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, जो लश्कर का ही एक मुखौटा संगठन है। TRF को दुनिया भर में भ्रम फैलाने और आतंकी संगठनों की असली पहचान छिपाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
विदेश सचिव ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के बयान से TRF का नाम हटवाने के लिए पाकिस्तान ने भरपूर कोशिश की, जो उसकी संलिप्तता को साफ दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद का आश्रयदाता देश बन चुका है। भारत ने इससे पहले 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार जैसे कई कड़े कदम उठाए थे, लेकिन पाकिस्तान ने आतंक के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
मिसरी ने कहा कि भारत ने जवाब देने का निर्णय आत्मरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत लिया। यह कार्रवाई पूरी तरह सटीक और सीमित थी, जिसमें सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा, “हमने पहले भी पाकिस्तान को लश्कर और जैश जैसे संगठनों के आतंकी नेटवर्क के बारे में आगाह किया था, लेकिन पाकिस्तान की चुप्पी और संरक्षण के कारण हमें यह कार्रवाई करनी पड़ी।”
इस ऑपरेशन की रणनीतिक जानकारी देते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि भारतीय सेना ने पीओके और पाकिस्तान में कुल नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया। उन्होंने कहा कि “हमने ऑपरेशन के दौरान यह सुनिश्चित किया कि किसी आम नागरिक को नुकसान न हो।” उन्होंने बताया कि:
कोटली अब्बास स्थित आतंकी कैंप को पूरी तरह नष्ट किया गया, जहाँ करीब 1500 आतंकियों को प्रशिक्षण दिया गया था।
बहावलपुर और महमूना जोया में भी आतंकी अड्डों को निशाना बनाया गया।
मुरीदके स्थित मरकज़ तैयबा, जो लश्कर-ए-तैय्यबा का मुख्यालय है, को भी ध्वस्त कर दिया गया। यही वह स्थान है जहाँ मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को ट्रेनिंग दी गई थी।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन में पाकिस्तान के किसी सैन्य ठिकाने या आम नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचाया गया, और पूरा हमला केवल आतंकी ठिकानों को टारगेट करते हुए किया गया।
