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एक उभरता हुआ फिल्मी सितारा जिसे बड़ी बेरहमी से खत्म कर दिया गया। नाम था इनका कामरान रिज़वी। आज हिंदुस्तान के बेहद कम सिने प्रेमियों को ये नाम मालूम होगा। लेकिन साल 1986 में रिलीज़ हुई रामसे ब्रदर्स की सुपरहिट हॉरर फिल्म तहखाना जितने भी लोगों ने देखी होगी और फिल्म की कहानी जिन लोगों को भी याद होगी, उन्हें आरती का प्रेमी विजय ज़रूर याद होगा। तमाम मुश्किलों से लड़ते हुए विजय अपने पिता से निभाया हुआ वादा पूरा करता है और बुराई को खत्म करके अच्छाई को जीत दिलाता है।

आज हम तहखाना फिल्म के विजय यानि एक्टर कामरान रिज़वी की बेहद दुखभरी कहानी आपको सुनाएंगे। उनके साथ हुई एक भयानक वारदात ने कैसे उनकी ज़िंदगी लील ली? आज यही किस्सा हम और आप जानेंगे।
कामरान रिज़वी के बारे में बहुत ज़्यादा जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है। बताया जाता है कि जब कामरान काफी छोटे थे तब इनके पिता ने इनकी मां को तलाक देकर एक दूसरी औरत के साथ शादी कर ली थी। वो दूसरी औरत कोई और नहीं, बल्कि बॉलीवुड की दो मशहूर अभिनेत्री बहनों फराह खान और तब्बू की मां की सगी बहन थी। माता-पिता के तलाक के बाद कामरान अपने पिता के साथ रहे। इस तरह कामरान तब्बू और फराह खान के कज़िन हुए और मशहूर अदाकारा शबाना आज़मी के भतीजे हुए।

कामरान जब छोटे ही थे तो उनके पिता उनकी नई मां के साथ कनाडा शिफ्ट हो गए। कामरान के पिता ने अपनी नई पत्नी यानि कामरान की नई मां की एक विधवा बहन को भी अपने साथ कनाडा आने का न्यौता दिया। कामरान के पिता ने उनसे कहा कि चूंकि इस्लाम में एक पुरुष दो पत्नियां रख सकता है इसलिए वो उनसे भी शादी करना चाहते हैं और उन्हें जीवन भर के लिए सहारा देना चाहते हैं। कामरान की नई मां की वो विधवा बहन भी इनके पिता के साथ शादी के लिए तैयार हो गई।

कामरान की ज़िंदगी का काफी वक्त कनाडा और अमेरिका में गुज़रा था। पिता के साथ कामरान कनाडा में रहे और उन्होंने पढ़ाई अमेरिका से की। अमेरिका के शिकागो शहर स्थित रूज़वेल्ट यूनिवर्सिटी से कामरान ने ग्रेजुएशन किया था। स्टूडेंट लाइफ के दौरान ही कामरान वीडियोग्राफी भी किया करते थे। कामरान ने तुम कौन हो नाम से एक फीचर फिल्म भी बनाई थी। शिकागो में ही एक दिन इनकी मुलाकात महान भारतीय अभिनेता संजीव कुमार से हुई थी। संजीव कुमार से बातचीत के दौरान इन्होंने अभिनेता बनने की ख्वाहिश जताई। तब संजीव कुमार ने इन्हें सलाह दी कि अगर अभिनेता बनना है तो तुम्हें जल्द से जल्द भारत जाना चाहिए।

संजीव कुमार की सलाह मानते हुए ये भारत लौट आए और यहां आकर इन्होंने अभिनेता बनने के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया। अच्छी पर्सनैलिटी के मालिक कामरान को जल्दी ही फिल्मों और टीवी शोज़ में काम करने के ऑफर्स मिलने लगे। काफी कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि नीरजा गुलेरी के बेहद लोकप्रिय टीवी शो चंद्रकांता के लिए पहले कामरान और अभिनेत्री अनुराधा पटेल को मुख्य भूमिकाओं में चुना गया था। लेकिन उस वक्त किन्हीं कारणों के चलते इस शो की मेकिंग टल गई। हालांकि बाद में शाहबाज़ खान और शिखा स्वरूप चंद्रकांता में लीड किरदारों में दिखे और ये शो बेहद लोकप्रिय हुआ।

कामरान की फिल्मों की कोई प्रॉपर लिस्ट कहीं उपलब्ध नहीं है। इसलिए ये कह पाना बेहद मुश्किल है कि इन्होंने कितनी फिल्मों और कितने टीवी शोज़ में काम किया। लेकिन इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि तहखाना इनके करियर की सबसे बड़ी फिल्म थी। ये फिल्म बेहद चर्चित रही थी। इसके अलावा 1989 में रिलीज़ हुई फिल्म अंधेरगर्दी में ये एक पुलिस इंस्पेक्टर बने थे। इस फिल्म में राज ब्बबर, कीमी काटकर और शक्ति कपूर जैसे बड़े स्टार्स भी नज़र आए थे। वहीं 1990 में रिलीज़ हुई फिल्म दिन दहाड़े में ये राजा नाम के एक गरीब बेरोजगार युवक बने थे। इससे अधिक इनकी फिल्मों के बारे में कोई जानकारी कहीं पर उपलब्ध नहीं है। क्योंकि इस फिल्म के रिलीज़ होने के कुछ ही दिनों बाद चाकू घोंपकर इनकी हत्या कर दी गई थी।

कामरान की हत्या इनके ही एक सौतेले भाई Zulfikar Abbas Mithwani ने की थी। जुल्फिकार उसी विधवा औरत का बेटा था जिससे कामरान के पिता ने तीसरी शादी की थी। जुल्फिकार के बारे में बताया जाता है कि वो एक सनकी और गुंडा किस्म का युवक था। कामरान के पिता से अपनी मां का शादी करना उसे ज़रा भी रास नहीं आया था। ज़ुल्फिकार की बहन यासमीन भी अपनी मां और कामरान के पिता की शादी से बेहद नाखुश थी। यासमीन को तो अपनी मां का वो फैसला इतना ज़्यादा बुरा लगा कि उसने नींद की कई सारी गोलियां खाकर आत्महत्या करने की भी कोशिश की। उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

इसके बाद एक दिन ज़ुल्फिकार कामरान के पास गया और उसने कामरान से कहा कि वो अपने पिता को समझाए और उनकी विधवा मां की शादी अपने पिता से ना होने दे। हालांकि कामरान ने ज़ुल्फिकार को जवाब दिया कि अपने पिता पर उसका ज़ोर नहीं चलता है और वो इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं। बच्चों द्वारा काफी ऐतराज़ करने के बावजूद भी जुल्फिकार की मां ने कामरान के पिता से शादी कर ही ली। लेकिन जब उसे मालूम चला कि उसकी बेटी यासमीन ने आत्महत्या की कोशिश की है तो वो कनाडा से भारत लौट आई।

ज़ुल्फिकार ने ही अपनी मां को एयरपोर्ट पर रिसीव किया. और मां को अपनी बहन यासमीन के पास अस्पताल में छोड़कर जुल्फिकार एक चाकू लेकर कामरान के घर चल दिया। कामरान के घर के बाहर दोनों के बीच काफी बहस हुई और फिर गुस्से से पागल हुए ज़ुल्फिकार ने कामरान को चाकू घोंप दिया। घायल कामरान को कुछ पड़ोसियों और पुलिस ने अस्पताल पहुंचाया। लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। 31 मई 1990 के दिन कामरान ये दुनिया छोड़कर हमेशा के लिए चले गए। वहीं कामरान की हत्या करने वाले ज़ुल्फिकार को मुंबई पुलिस ने उसकी मां और बहन यासमीन के साथ एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया। जुल्फिकार हैदराबाद भागने की फिराक में था।

तो साथियों ये थी कहानी उस अभिनेता की जिसके बारे में कहा जा सकता है कि उसकी मौत उसे अमेरिका से खींचकर भारत ले आई थी। कामरान रिज़वी अगर ज़िंदा होते तो शायद फिल्मों में उनका भी कोई मुकाम होता। लेकिन एक सनकी की सनक ने इस लंबे-चौड़े और होनहार नौजवान की जान ले ली


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