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दुनिया भर के पत्रकारों के लिए सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड है पुलित्ज़र अवॉर्ड जिसे जर्नलिज्म का ऑस्कर भी कहा जाता है, इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड की घोषणा अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी द्वारा की जाती है।

क्यों दिया जाता हैं पुलित्जर अवॉर्ड
हंगरी निवासी समाचार पत्र प्रकाशक जोसेफ पुलित्जर के नाम पर यह महत्वपूर्ण पुरस्कार दिया जाता है। 29 अक्टूबर 1911 को जोसेफ की मृत्यु के बाद पहली बार पुलित्जर पुरस्कार 4 जून 1917 में दिया गया। उनकी याद में आज भी पुलित्जर पुरस्कार संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा दिया जाने वाला एक प्रमुख पुरस्कार है।

कैसे हुई थी इस पुरस्कर की शुरूआत
बता दें की 1904 में जोसेफ ने अपनी वसीयत तैयार की थी जिसमें उन्‍होंने पुलित्‍जर पुरस्‍कारों के शुरू करने से जुड़े कुछ प्रावधानों के बारे में बताया था। जिसमें उन्‍होंने लिखा था कि सर्वश्रेष्‍ठता को पुरस्‍कृत करने के तौर पर पुलित्‍जर पुरस्‍कार की शुरुआत की जानी चाहिए। जिसमें उन्होंने चार पुलित्‍जर अवॉर्ड जर्नलिज्‍म के लिए, चार ड्रामा, एक शिक्षा और 5 ट्रैवेलिंग स्‍कॉलरशिप्‍स के तौर पर देने का उल्लेख किया था। शुरुआत में तीन स्‍कॉलरशिप्‍स कोलंबिया यूनिवर्सिटी में जर्नलिज्‍म की फैकल्‍टी की सलाह पर ग्रेजुएशन करने वाले स्‍टूडेंट्स को दी जाती थी, जबकि 2 स्‍कॉलरशिप्‍स आर्ट और म्‍यूजिक के लिए होती थीं। लेकिन वर्तमान समय में 7500 अमेरिकी डॉलर की पांच स्‍कॉलरशिप्‍स कोलंबिया यूनिवर्सिटी में जर्नलिज्‍म से ग्रेजुएट होने वाले छात्रों को मिलती हैं।

यह मिलता हैं पुरस्कार
यह पुरुस्कार कुल 21 श्रेणियों में दिया जाता हैं। इस पुरस्कार प्राप्त करने वाले विजेता को पुरस्कार के साथ-साथ एक प्रमाण-पत्र व 15,000 डॉलर की नकद राशि भी प्रदान की जाती है।

इन श्रेणियों में दिया जाता हैं सम्मान
यह पुरस्कार हर वर्ष आत्मकथा, कविता, फिक्शन, नाटक, इतिहास, जनसेवा एवं पत्रकारिता की अन्य विभिन्न श्रेणियों के विजताओं को प्रदान किया जाता है।

इन भारतियों को मिला पुलित्जर अवॉर्ड
अब तक भारतीय अमेरिकी लेखिका झुंपा लाहिड़ी, पत्रकार मेघा राजगोपाल, पत्रकार-लेखिका गीता आनंद, कैंसर चिकित्सक और शोधकर्ता सिद्धार्थ मुखर्जी, विजय शेषाद्री और नील बेदी को पुलित्जर अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका हैं।


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