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भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने विभिन्न देशों से आए राजनयिकों, योगाचार्यों और गणमान्य अतिथियों का आत्मीय स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखंडी टोपी और प्रतीक चिन्ह भेंट कर विदेशी मेहमानों का सम्मान किया और उत्तराखंड की योग, आयुष, जैव विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि पर विस्तार से प्रकाश डाला।

 

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि देवभूमि उत्तराखंड सदियों से योग और आयुर्वेद की धरती रही है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में योग को वैश्विक पहचान मिली और आज पूरी दुनिया 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मना रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 177 देशों ने इस दिन को मान्यता दी, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रति विश्व की श्रद्धा को दर्शाता है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बाबा केदारनाथ की भूमि से यह दशक “उत्तराखंड का दशक” बताया था, और यह वाक्य उनके लिए प्रेरणा और कार्य योजना का मार्गदर्शक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का वेलनेस सेक्टर विशेषकर आयुष और योग के क्षेत्र में गहरा दृष्टिकोण है, और उसी के अनुरूप उत्तराखंड को ‘योग की वैश्विक राजधानी’ के रूप में स्थापित किया जा रहा है।

 

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के हिमालयी वातावरण, शुद्ध जलवायु, आध्यात्मिक वातावरण और पारंपरिक ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राज्य में योग, आयुर्वेद और पंचकर्म के लिए उपयुक्त वातावरण और प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध हैं। ऋषिकुल और गुरुकुल जैसे आयुर्वेदिक संस्थान 100 वर्षों से भी अधिक समय से इस ज्ञान परंपरा का विस्तार कर रहे हैं।

 

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में मिलने वाली दुर्लभ जड़ी-बूटियां जैसे कुटकी, जटामांसी, तिमूर आदि औषधीय दृष्टि से अत्यंत उपयोगी हैं और इनकी आपूर्ति न केवल देशभर में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी की जाती है। उत्तराखंड से जुड़े पारंपरिक सुपर फूड्स जैसे मंडुवा, झंगोरा, भट्ट, बिच्छुघास और किलमोड़ा का भी वैश्विक स्तर पर प्रसंस्करण और निर्यात की अपार संभावनाएं हैं।

 

मुख्यमंत्री ने विदेशी प्रतिनिधियों को आमंत्रित करते हुए कहा कि जीवनशैली जनित बीमारियों, स्वास्थ्य संरक्षण और नवाचार के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान और साझेदारी की दिशा में उत्तराखंड अग्रसर है। उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि प्रदेश की जैव विविधता और आयुष आधारित उत्पादों का वैश्विक स्तर पर आदान-प्रदान किया जा सकता है।

 

इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी उत्तराखंड की विविधता और सांस्कृतिक परंपराएं देखने को मिलीं। नंदा देवी राजजात की झांकी से कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसके बाद गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी लोकनृत्य जैसे झोड़ा-छपेली और नाटी की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 

इस विशेष आयोजन में भारत में मेक्सिको के राजदूत श्री फेडेरिको सालास, फिजी के हाई कमिश्नर श्री जगन्नाथ सामी, नेपाल के राजदूत डॉ. शंकर प्रसाद शर्मा, सूरिनाम के राजदूत श्री अरुणकोमर हार्डियन, मंगोलिया के राजदूत श्री डंबाजाविन गैंबोल्ड, लातविया के डिप्टी हेड ऑफ मिशन श्री मार्क्स डीतॉन्स, श्रीलंका उच्चायोग के मिनिस्टर काउंसलर श्री लक्ष्मेंद्र गेशन डिसनायके और रूस के प्रथम सचिव सुश्री क्रिस्टिना अनानीना एवं तृतीय सचिव सुश्री कैटरीना लज़ारेवा उपस्थित रहे।

 

इस मौके पर योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण, विधायक अनिल नौटियाल, सचिव दीपेन्द्र कुमार चौधरी, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. विनय रुहेला, सूचना महानिदेशक बंसीधर तिवारी, जिलाधिकारी चमोली संदीप तिवारी, पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार सहित अनेक गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।

 

इस आयोजन ने न केवल योग और आयुष के महत्व को दोहराया, बल्कि उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय छवि को सुदृढ़ करने की दिशा में एक और अहम कदम साबित हुआ।

 


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