
इन दिनों रामनगर के तराई पश्चिमी वन प्रभाग के मशहूर फाटो ज़ोन में स्थित एक कैंटीन चर्चा का विषय बनी हुई है। बताया जा रहा है कि यह कैंटीन पूरी तरह फर्जी तरीके से संचालित हो रही है। न इसके पास खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) का लाइसेंस है और न ही इसका कोई अनुबंध किसी अधिकृत संस्था से हुआ है।
जबकि राज्य सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री, बार-बार यह बात दोहरा चुके हैं कि ऐसी कैंटीनों के संचालन में महिला समूहों को प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर इस कैंटीन को वन विभाग किस दबाव में बिना किसी वैधता के संचालित करवा रहा है?
यह क्षेत्र एक प्रमुख पर्यटक स्थल है जहाँ हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। ऐसे में पर्यटकों की सुरक्षा के साथ यह लापरवाही किसी भी बड़े हादसे को न्योता दे सकती है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस मुद्दे पर कोई भी अधिकारी या जिम्मेदार व्यक्ति कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।
सूत्रों की मानें तो इस कैंटीन के पास न FSSAI लाइसेंस है और न ही यह कुमाऊं मंडल विकास निगम या किसी महिला समूह द्वारा संचालित की जा रही है। जबकि वन विभाग के अन्य क्षेत्रों — जैसे कि कॉर्बेट पार्क — में कैंटीन का संचालन कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा किया जाता है। ऐसे में फाटो ज़ोन की कैंटीन को एक निजी व्यक्ति द्वारा चलाया जाना कई सवाल खड़े करता है।
बताया जा रहा है कि इस कैंटीन को एक प्रभावशाली नेता का “आशीर्वाद” प्राप्त है, जिसकी वजह से संबंधित विभाग भी चुप्पी साधे हुए है। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की सख्त ज़रूरत है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इस कैंटीन को बिना मानकों के संचालित करने की अनुमति किसने दी और किसकी शह पर यह सब हो रहा है।
