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नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला पंचायतों के निवर्तमान अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त करने के बाद, अब ग्राम पंचायतों के निवर्तमान ग्राम प्रधानों को भी प्रशासक नियुक्त करने और चुनाव न कराने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि पंचायत चुनाव कब तक कराए जा सकते हैं और 20 मई तक एक योजना पेश करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि जब पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, तो प्रशासक नियुक्त करना संवैधानिक प्रक्रिया के खिलाफ है, और चुनाव कराए जाने चाहिए।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ग्राम पंचायतों के चुनाव नहीं करा रही है और निवर्तमान ग्राम प्रधानों को प्रशासक नियुक्त कर रही है, जो संविधानिक रूप से गलत है। सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, प्रशासक सिर्फ तभी नियुक्त किया जा सकता है जब ग्राम सभा भंग हो और उसके बाद 6 माह के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य होता है। चुनाव आयोग ने बताया कि चुनाव की प्रक्रिया तैयार है, लेकिन अब सरकार को आरक्षण और अन्य निर्णय लेने हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को तय की है।


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