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उत्तराखंड की हसीन वादियों के बीच बसे पहाड़ी जिलों में काम करना जितना खूबसूरत दिखता है, हकीकत में उतना ही चुनौतीपूर्ण होता है। खासतौर पर पुलिस सेवा में रहते हुए जहां कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है। इस कठिन कार्य को अपने धैर्य, नेतृत्व क्षमता और ईमानदारी से निभाने वाली एक अधिकारी का नाम है आईपीएस सरिता डोभाल।

 

सरिता डोभाल वर्तमान में उत्तरकाशी जिले की पुलिस कप्तान (एसपी) के रूप में कार्यरत हैं और उनकी कर्तव्यनिष्ठा, कठिन परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखने की क्षमता और प्रशासनिक दक्षता ने उन्हें उत्तराखंड पुलिस की एक सशक्त पहचान बना दिया है। महिला दिवस के अवसर पर यह लेख उन तमाम महिलाओं को समर्पित है जो चुनौतियों से लड़कर सफलता की नई इबारत लिख रही हैं, और खासतौर पर पहाड़ की इस जांबाज बेटी को, जिसने पुलिस सेवा में अपनी अलग छाप छोड़ी है।

 

पुलिस सेवा में सबसे कठिन कार्यों में से एक होता है वीवीआईपी सुरक्षा व्यवस्था को संभालना। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तरकाशी के प्रसिद्ध हर्षिल क्षेत्र के दौरे पर आए थे। यह इलाका प्राकृतिक रूप से कठिन है – ठंड, बर्फबारी और दुर्गम रास्तों की वजह से यहां व्यवस्थाएं करना आसान नहीं होता।

 

इतने बड़े नेता की सुरक्षा व्यवस्था संभालना किसी भी अधिकारी के लिए एक कठिन परीक्षा होती है। लेकिन सरिता डोभाल ने इसे न केवल सफलतापूर्वक अंजाम दिया, बल्कि अपनी सूझबूझ और नेतृत्व क्षमता से साबित कर दिया कि वे किसी भी बड़े जिले की पुलिस कप्तान बनने की काबिलियत रखती हैं। उत्तरकाशी जैसे दुर्गम इलाके में इस तरह की चुनौती को सहजता से संभालना उनकी कार्यकुशलता को दर्शाता है।

 

सरिता डोभाल का पुलिस करियर कई उपलब्धियों से भरा हुआ है। उनकी गिनती उत्तराखंड पुलिस की तेज-तर्रार अधिकारियों में होती है। उन्होंने राज्य के कई महत्वपूर्ण जिलों में सेवाएं दी हैं, जहां उनके काम की खूब सराहना हुई है।

 

जब वे नैनीताल में सर्कल ऑफिसर (सीओ) के रूप में कार्यरत थीं, तब उनके ट्रैफिक मैनेजमेंट की काफी तारीफ हुई थी। नैनीताल एक पर्यटन स्थल है और वहां यातायात को नियंत्रित करना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। लेकिन उनकी रणनीति और कार्यशैली ने यह साबित कर दिया कि वे प्रशासनिक प्रबंधन में दक्ष हैं। उनकी कार्यशैली को देखते हुए उच्च अधिकारियों ने भी उन्हें सराहा

 

प्रभावी नेतृत्व: वे एक बेहतरीन टीम लीडर हैं, जो अपनी टीम को प्रेरित करती हैं और उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

 

प्रशासनिक कुशलता: उत्तरकाशी जैसे दूरस्थ जिले में पुलिस बल को संगठित रखना और कानून-व्यवस्था को बनाए रखना आसान काम नहीं, लेकिन उन्होंने इसे बखूबी किया।

 

जनता से जुड़ाव: वे आम लोगों से संवाद स्थापित करने और उनकी समस्याओं को हल करने में हमेशा तत्पर रहती हैं ,सरिता डोभाल न सिर्फ एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं, बल्कि वे महिला सशक्तिकरण की भी मिसाल हैं। उत्तराखंड में कई युवा लड़कियां पुलिस सेवा में जाने का सपना देखती हैं, और उनके लिए सरिता डोभाल एक प्रेरणा स्रोत हैं।

 

महिला दिवस पर जब हम सशक्त महिलाओं की बात करते हैं, तो आईपीएस सरिता डोभाल का नाम जरूर लिया जाना चाहिए। पुलिस सेवा जैसी चुनौतीपूर्ण नौकरी में अपनी जगह बनाना और उसमें सफलता हासिल करना आसान नहीं होता, लेकिन उन्होंने यह साबित किया है कि अगर हौसला और मेहनत हो तो कुछ भी असंभव नहीं

 

उत्तरकाशी के लोग, पुलिस महकमा और प्रशासन के अधिकारी सरिता डोभाल के काम की सराहना करते नहीं थकते। वे एक सख्त लेकिन संवेदनशील अधिकारी के रूप में जानी जाती हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए आम जनता को भी उन पर भरोसा है

 

सरिता डोभाल की अब तक की उपलब्धियों को देखकर यह कहा जा सकता है कि वे आने वाले समय में उत्तराखंड के किसी भी बड़े जिले की पुलिस कप्तान बनने की क्षमता रखती हैं। उनकी काबिलियत और मेहनत को देखकर ऐसा लगता है कि आने वाले समय में वे और भी ऊंचे पदों पर पहुंचेंगी और प्रदेश के लिए बेहतर कार्य करेंगी।

 

हाल ही में उत्तरकाशी में एक बड़ा हिंदू मुस्लिम तनाव देखने को मिला था जिसे शांत करने के सरिता डोभाल की अहम भूमिका रही महिला दिवस पर, जब हम उन महिलाओं को सलाम करते हैं जो समाज में बदलाव ला रही हैं, तो उत्तराखंड की इस जांबाज पुलिस अधिकारी को सम्मान देना बनता है। आईपीएस सरिता डोभाल ने यह साबित किया है कि एक महिला किसी भी कठिन परिस्थिति में मजबूत नेतृत्व कर सकती है और बड़ी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा सकती है।

 

उनका संघर्ष, मेहनत और कर्तव्यनिष्ठा उन्हें एक आदर्श पुलिस अधिकारी बनाती है। उत्तराखंड को उन पर गर्व है और यह उम्मीद की जाती है कि वे आगे भी इसी तरह प्रदेश की सेवा करती रहेंगी।

 


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