डकैती के शामिल 3 पुलिस कर्मियों सहित 7 लोग पकड़े गए
उत्तराखंड पुलिस के नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक (DGP) दीपम सेठ ने अपनी पहली बैठक में राज्यभर के पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए थे कि किसी भी भ्रष्ट या अपराध में लिप्त पुलिसकर्मी को बख्शा नहीं जाएगा। इसी आदेश का पालन करते हुए देहरादून पुलिस ने प्रेमनगर क्षेत्र में डकैती की एक बड़ी घटना का खुलासा किया है। इस मामले में तीन पुलिसकर्मियों समेत सात अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है।
देहरादून एसएसपी ने इस कार्रवाई पर कहा कि अपराधी चाहे कोई भी हो, कानून से ऊपर नहीं है। पुलिस की इस सख्त कार्रवाई के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है, खासकर तब जब इस घटना में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता सामने आई है।
प्रेमनगर में हुई इस डकैती की कहानी बेहद फिल्मी है। पीड़ित यशपाल सिंह असवाल, जो पेशे से प्रॉपर्टी डीलर हैं, ने 31 जनवरी 2025 को प्रेमनगर थाने में एक लिखित शिकायत दी। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले उनकी मुलाकात कुंदन सिंह नेगी नामक व्यक्ति से हुई थी, जिसने उन्हें बताया कि उसके कुछ परिचितों के पास 20,000 अमेरिकी डॉलर हैं, जिन्हें वे सस्ते दाम में भारतीय मुद्रा में बदलना चाहते हैं।
कुंदन नेगी ने यशपाल सिंह को राजेश रावत, राजेश चौहान और राजकुमार चौहान से मिलवाया, जो उत्तरकाशी के रहने वाले हैं। यशपाल को बताया गया कि यह सौदा 8 लाख रुपये में तय किया जा सकता है। इस आकर्षक प्रस्ताव को सुनकर यशपाल सिंह ने सौदे के लिए सहमति दे दी।
31 जनवरी को यशपाल सिंह 7.5 लाख रुपये लेकर सौदा करने बालाजी मंदिर, झाझरा पहुंचे, जहां पहले से ही कुंदन नेगी और उसके साथी मौजूद थे। बातचीत के दौरान अचानक दो अन्य व्यक्ति वहां पहुंचे। इनमें से एक वर्दी में था और दूसरा सादे कपड़ों में। उन्होंने खुद को पुलिसकर्मी बताया और यशपाल सिंह को धमकाने लगे।
इसके बाद उन्होंने यशपाल सिंह से सारा पैसा छीन लिया, उनके साथ मारपीट की और गालियां देते हुए उन्हें वहां से भगा दिया। हालांकि, जाते-जाते उन्होंने 2.5 लाख रुपये वापस कर दिए, जिससे मामला कुछ सामान्य दिखे।
घटना की जानकारी मिलते ही थाना प्रेमनगर में तुरंत मामला दर्ज किया गया। यह मुकदमा अपराध संख्या 25/25 धारा 310(2)/61(2) BNS के तहत दर्ज किया गया।
देहरादून एसएसपी ने घटना की गंभीरता को देखते हुए विशेष पुलिस टीम गठित कर जांच के आदेश दिए। पुलिस ने घटनास्थल के आसपास के CCTV फुटेज और सर्विलांस डेटा खंगाला और तेजी से कार्रवाई करते हुए मामले में शामिल तीन पुलिसकर्मियों सहित कुल सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया देहरादून पुलिस ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया और यह साफ कर दिया है कि कानून से बड़ा कोई नहीं है, चाहे वह पुलिसकर्मी ही क्यों न हो। इस घटना में पुलिस विभाग के तीन कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आने के बाद उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है।
नवनियुक्त डीजीपी के आदेश के बाद यह पहली बड़ी कार्रवाई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि उत्तराखंड पुलिस भ्रष्टाचार और अपराध में लिप्त कर्मियों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।
देहरादून एसएसपी ने कहा कि इस मामले में आगे की जांच जारी है और जल्द ही अन्य फरार अभियुक्तों को भी गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस प्रशासन ने जनता से अपील की है कि यदि किसी को किसी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी मिले, तो वह तुरंत पुलिस को सूचित करे।
प्रेमनगर क्षेत्र में हुई यह घटना उत्तराखंड पुलिस विभाग में अंदरूनी भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करती है। लेकिन इस मामले में देहरादून पुलिस की त्वरित कार्रवाई यह दर्शाती है कि राज्य में कानून-व्यवस्था को सुधारने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
यह मामला भविष्य में पुलिस सुधारों और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनेगा। अब देखना यह होगा कि फरार अभियुक्त कब तक पुलिस की गिरफ्त में आते हैं और इस मामले मे और क्या खुलासे होते है
